सपने में कोई अपना
सोच में डूबा हुआ मैंने सोचा एक सपना,
था उसमे एक अजीब इंसान कोई अपना,
उसका चेहरा देखने ke लिए मैंने अनेक सहारे लिए,
मेरे ह्रदय ने मुझसे उस वक्त लाखों प्रशन किए .
पुछा मैंने उससे उसका नाम था,
जानना चाह मैंने उसका काम था,
उत्तर देने से पहले चला गया वोह,
खो गया जैसे की कोई आसमान था।
फ़िर आया वोह उसी तरह अगली रात,
की उससे उसदिन मैंने मुलाक़ात,
उत्तर दिया और बहुत समझाया उसने मुझको,
दे गया वोह मेरे दिल को मात .
samajhaya उसने भविष्य के बारे में,
आदेश दिया छोड़ने को भविष्य उसके सहारे में,
बताया उसने की वोह मेरा भविष्य था,
बनाया मुझे उसने अपना शिष्य था।
आँखें खोल दी उसने जाते ही साथ,
चैन मिला उसके शब्दों से उस रात,
अच्छे और बुरे की पहचान आ गई मुझमें,
हो नहीं पाई फिरसे usase मुलाक़ात।
उसने मेरे कर्मों का वर्णन किया था,
मैंने कौनसे कौनसे ग़लत कामों को किया था,
उसने अपनी शिक्षा से शिक्षक का नाम लिया था,
उसने मुझे अच्छा इंसान बना दिया था .
This blog is for those who want to see a change in the society be it socially or technologically.....who want to spread there thoughts and make people think about it.....its the place to do it.....share your thoughts and make this world a better place........
Wednesday, January 21, 2009
Sunday, January 18, 2009
Life and death
जीवन और मृत्यु
एक जानवर की देखी मैंने तस्वीर थी,
मेरे हाथों में उसकी तकदीर थी,
एक तीर चला दिया मैंने,
टूटी हुई जीवन रेखा उसके हाथों की लकीर थी.
मर गया वोह मेरे क़दमों में ,
खो गया वोह मेरी यादों में,
सामने निकला वोह एक रात,
हो गया मुझसे उसदिन अपराध।
बदकिस्मती में आती हैं मुश्किलें सभी,
मरना था उसे कभी न कभी,
अपनानी पड़ेगी मुझे यह कड़वी सच्चाई,
नहीं हो पायेगी मेरे दिल की भरपाई।
मानना पड़ेगा यही सच है,
मारा है जो वह एक गज है,
छोड़ दिया चलाना तीर मैंने आज से,
अमर हो गया वोह पेच्ली रात से।
अपराध करके पा लिया मैंने अंजाम,
शायद यही है जीवन मृत्यु का नाम.
एक जानवर की देखी मैंने तस्वीर थी,
मेरे हाथों में उसकी तकदीर थी,
एक तीर चला दिया मैंने,
टूटी हुई जीवन रेखा उसके हाथों की लकीर थी.
मर गया वोह मेरे क़दमों में ,
खो गया वोह मेरी यादों में,
सामने निकला वोह एक रात,
हो गया मुझसे उसदिन अपराध।
बदकिस्मती में आती हैं मुश्किलें सभी,
मरना था उसे कभी न कभी,
अपनानी पड़ेगी मुझे यह कड़वी सच्चाई,
नहीं हो पायेगी मेरे दिल की भरपाई।
मानना पड़ेगा यही सच है,
मारा है जो वह एक गज है,
छोड़ दिया चलाना तीर मैंने आज से,
अमर हो गया वोह पेच्ली रात से।
अपराध करके पा लिया मैंने अंजाम,
शायद यही है जीवन मृत्यु का नाम.
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