Be The Change...........
This blog is for those who want to see a change in the society be it socially or technologically.....who want to spread there thoughts and make people think about it.....its the place to do it.....share your thoughts and make this world a better place........
Monday, August 16, 2010
Born To Win....
'Born To Win', a complete self-analysis book by Muriel James and Dorothy Jongeward. It's based on the concepts of Transactional Analysis and Gestalt Experiments. Nowhere its tells you how you should be but what it does is that it lets you realize yourself and makes you see clearly what are the implications of many of your behaviors. Not only self realization but it also helps us understand the basis of human nature and teaches us how to deal with people. In all an exciting and an interesting read.
Sunday, February 14, 2010
Two States by Chetan Bhagat
It's a great attempt by our newly born (only four books old) with simple english, shallow understanding to try and portray the regionalism brooding in our society. Kudos! I tried my best to avoid the book for so long but finally it got me and here I am with a review on it. Sarcastic, humorous storyline which starts off this way but after the third act its sort of he's just dragging it to the end. What I found out was that there is a clear lack of understanding of a woman in his writing.
Yet again the storyline is pretty predictable.
Overall it's yet another masala story good for beginners and a bummer for regulars.
Yet again the storyline is pretty predictable.
Overall it's yet another masala story good for beginners and a bummer for regulars.
Saturday, October 24, 2009
संकोच -" Emotions of True Son"
हर इन्सान में कहीं न कहीं होता तो है ही संकोच,
दूसरों को ही वोह खुशी देना चाहता है हर रोज़ ,
छिपाता है दूसरों से और सह लेता है ख़ुद दुःख,
बदले में जो भी मिले दुःख या फ़िर सुख।
वह इंसान जो भी हो , होता तो है ही महान,
दूसरों का सोचने वाला वह कर देता है कीर्तिमान।
वह ख़ुद नहीं जानता कितनी तकलीफें आएँगी और,
मदद तो करना ही है सबकी ,चाहे हो इंसान या फ़िर हैवान।
माँ की ममता में भी संकोच छिपा रहता है,
दर्द होता है यदि पुत्र कुछ सहता है।
ममता भी महानता का ही एक रूप लगती है,
यह महसूस करके पुत्र का भी अश्क निकल बहता है।
वह अश्क में क्या क्या छिपा रहता है,
यह तो सिर्फ़ वह पुत्र ही जानता है,
दया,स्नेह,आदि से भरपूर वो अश्क,
जब निकलता है तो कभी नहीं ठहेरता है।
पुत्र की स्थिती देखकर पिता उसे सहानुभूति देता है,
पुत्र सहानुभूति को भो माँ की ममता समझ लेता है,
पिता ,पुत्र और माँ का यह अनूठा रिश्ता,
भगवान् ही तो बाँध कर देता है.
दूसरों को ही वोह खुशी देना चाहता है हर रोज़ ,
छिपाता है दूसरों से और सह लेता है ख़ुद दुःख,
बदले में जो भी मिले दुःख या फ़िर सुख।
वह इंसान जो भी हो , होता तो है ही महान,
दूसरों का सोचने वाला वह कर देता है कीर्तिमान।
वह ख़ुद नहीं जानता कितनी तकलीफें आएँगी और,
मदद तो करना ही है सबकी ,चाहे हो इंसान या फ़िर हैवान।
माँ की ममता में भी संकोच छिपा रहता है,
दर्द होता है यदि पुत्र कुछ सहता है।
ममता भी महानता का ही एक रूप लगती है,
यह महसूस करके पुत्र का भी अश्क निकल बहता है।
वह अश्क में क्या क्या छिपा रहता है,
यह तो सिर्फ़ वह पुत्र ही जानता है,
दया,स्नेह,आदि से भरपूर वो अश्क,
जब निकलता है तो कभी नहीं ठहेरता है।
पुत्र की स्थिती देखकर पिता उसे सहानुभूति देता है,
पुत्र सहानुभूति को भो माँ की ममता समझ लेता है,
पिता ,पुत्र और माँ का यह अनूठा रिश्ता,
भगवान् ही तो बाँध कर देता है.
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